
जब-जब उनकी याद हमें आती थी,
तब-तब हमारी आंखों में आंसू भर आते थे,
हम उसी राह पर चल पडते थे,
जहां हम अक्सर मिला करते थे,
उन लहराते हुए पेडों को छूते हुए,
उन उडते हुए पत्तों को चूमते हुए,
उन फूलों की खुश्बू को मेहसूस करते हुए,
उस झील के लहराते हुए लहरों की आवाज सुनते हुए,
उस साहिल पर बैठते हुए,
बीते हुए उन लम्हों को महसूस करते हुए,
उन बीते हुए यादों को सजाते हुए,
उनकी याद में खो जाया करते थे,
तकदीर हम पर मेहरबान हुआ,
और हमें उनसे एक आखरी बार मुलाकात करवाया,
उनकी आंखों में वो प्यार का झलक नहीं दिखा,
और तब जा कर हमें मालूम हुआ,
कि उसके मन में हमारे लिए,
कभी प्यार ही नहीं था,
उन पर हमें कोई शिकवा भी नहीं था,
क्यों कि प्यार ने हमें देना ही सिखाया है ...