आधी रात होने को आयी
फ़िर भी… पल्कों पर नीन्द ना आयी…
जितनी भी इस नादान दिल को समझाने की कोशिश करूँ
फ़िर भी… वोह हमारे काबू में ना आयी…
जितनी भी बातें मे उनसे करूँ
फ़िर भी… मन कि प्यास बुजती ही नहीं…
उनके एक झलक के लिए इतना तरस रहीं हूँ
फ़िर भी… हमसे उन्की मुलाकात होती नहीं…
जितनी भी बार घडी की ओर देखूँ
फ़िर भी… उनके बगैर वक्त गुज़रती ही नहीं…
एक ही छत के नीचे है अब हम दोनों
फ़िर भी… साथ में पिया नहीं…
इन्तज़ार ही तो कर सकती हूँ उन्के
फ़िर भी… और कोई दूसरा रास्ता भी तो नहीं…
फ़िर भी… पल्कों पर नीन्द ना आयी…
जितनी भी इस नादान दिल को समझाने की कोशिश करूँ
फ़िर भी… वोह हमारे काबू में ना आयी…
जितनी भी बातें मे उनसे करूँ
फ़िर भी… मन कि प्यास बुजती ही नहीं…
उनके एक झलक के लिए इतना तरस रहीं हूँ
फ़िर भी… हमसे उन्की मुलाकात होती नहीं…
जितनी भी बार घडी की ओर देखूँ
फ़िर भी… उनके बगैर वक्त गुज़रती ही नहीं…
एक ही छत के नीचे है अब हम दोनों
फ़िर भी… साथ में पिया नहीं…
इन्तज़ार ही तो कर सकती हूँ उन्के
फ़िर भी… और कोई दूसरा रास्ता भी तो नहीं…
2 comments:
Hi Pravallika garu. How are you? Your thoughts are very vibrant and they all resound the sound of youth. Very nice thoughts.
I am not sure how good you are with Hindi but I find a few errors. They can typo errors too. Just wanted to let you know so you can avoid them. Sorry for intruding.
Hello Anand garu,
Am doing great and I hope the same at ur end...
Thank you soo much for your feedback...
Thank you once again for u r valuable feedback on आधी रात... I shall look into that...
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