A Journey of Life...
Valentine
Friday, December 12, 2008
वोह रात
वोह रात कभी में बुला नहीं सकति
जहाँ तुम्हारी पसंद मुझे मालूँ हुआ
तुम्हारी ज़िंदगी में वहीं तरह की लड़की को देखना चाहती हूँ
लेकिन मुझ सा कभी नहीं
यह भी एक वजह है
जिसके लिए में आप से दूर रहना चाहती हूँ
आप के ज़िंदगी में बस कुशी ही कुशी देखना चाहती हूँ में
क्यों कि हम आप से बेहद प्यार करते है सनम
उमीद करती हूँ कि आप हमें किसी दिन संझेंगे
अब उसी दिन की इंतज़ार में राह देख रहें हैं हम
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2 comments:
I really do not have any words to describe how great your poetry is. Keep rocking pravallika.
Sky
Hi Sky,
Thank you so much....
Pravallika
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