A Journey of Life...
Valentine
Saturday, February 27, 2010
मुलाक़ात...
इस कदर हमारी मुलाक़ात कुछ आप से हुई
जैसे शबनम को गुलदस्ते से हुई
यह मिलन एक बेमिसाल है
जैसे कुदरत का कुछ करिश्मा है
जब भी हम आप को याद करते है
हमारे नज़रों के सामने आपको पाते है
इन दो दिनों की मुलाक़ात
कुछ दिल में जादूसी छागयी है
पलकों में नींद नहीं आती है
और होंटों पे लफ़्ज़ों कि कमीसी होती है
सोते हुए और जागते हुए
सदा आप ही को याद करते है
अब कैसी है यह रुसवाई
जब खिलने लगी है ज़िन्दगी उल्फत में तुम्हारी...
Wednesday, February 24, 2010
Togetherness...
All the day and all the night
Love to be in your arms so tight
For hours together we would talk
And for miles together we would walk
Down the tranquil woods tonight
When the moon in the sky shines so bright
Holding our hand in hand
And writing our names in sand
Let’s embrace the armor of love
Uncared of the surroundings in shove
Your very touch mesmerizes me
And your very thought excites me
Let’s get merged as one in the cloud
And tell the entire world that we love in loud ...
Thursday, February 4, 2010
प्यार की बारिश...
मन का मन से है रिश्ता
और तन का तन से है नाता
अगन अगन सी है
अब विरह का येह किश्ता
बरस बरस अब
प्यार की बारिश बरसा
जटिल जटिल है अब
मिलन का येह इरादा
कटिन कटिन है अब
तुम से दूर रह नहीं जाता
तोड़ दो ये सारा बंधन
और साथ दो मेरा सारा जीवन
दिल आस लिए बैटा है तुमसे
और तुमको ही मांगा है हमने रबसे
जानलो मेरे ये आलम
और सुन भी लो मेरे दिल कि धड़कन
तुम हो मेरे सांसों कि सरगम
और तुमसे ही प्यार करेंगे हम हरदम...
सनम बेवफा...
प्यार से आकर तुमसे टकराए
और तुमने हमें दिलसे टुकराए
जिन बाँहोंने कभी हमें संभाला था
आज नजाने क्यों हमसे खफा है
किसी और के बाँहों में रहकर
छोड़ दिया हमें एक गैर समझ कर
साथ जीने मरने का वादा
किया था वोह कभी हमसे
पर आज भुलादिया है वोह
प्यार से भरा हर लम्हे
जिसके नाम कभी हम
जुढे थे अपने नाम से
उसीने आज मिटादिया
हमारे नाम अपने दिल से
काश उनके दिल में
कुछ तो वफ़ा बचती
शायद आज वोह हमसे
बेवफा कभी ना करते ...
Wednesday, February 3, 2010
इस कदर हमें तुम...
इस कदर हमें तुम,
क्यूँ टुकराये...
कभी हम ना जाने,
क्यूँ हमें तडपाये...
इन दिलों के फासले,
यूँ बड़ना जाये...
और प्यार का ए रिश्ता,
कभी टूटना जाये...
क्या हुई हमसे गिला,
कभी हम समझना पाए...
पलकों में भरी इन आँसूं को,
उनसे छुपना पाए...
इन आँसूं को बेहनेसे,
रोख भी ना पाए...
अपने तनहाई के आग में,
जलनेसे बचना पाए...
घम के ज़ेहर पीकर,
फिर भी हम मुस्कुराए...
ताकी हमारे वजह से उनपर,
कोई इलज़ाम ना आए...
Monday, February 1, 2010
भीगी भीगी सी ...
भीगी भीगी सी
पलकों से बेह गए
सपने हज़ार हमारे
बेवफा केहके
थोडा इस दिल को
आईना उसे समझ के
भीगी भीगी सी ...
प्यार से तुम को
मैने जब चाहा
तुमने हमें टुक्राए
किसी और की तुम
बातों में आकर
मेरे राह में काँटे बिछाए
भीगी भीगी सी...
किसी न किसी दिन
मेरे इस प्यार को
तुम मेहसूस करोगे
और तुम उस दिन
करो इज़हार हमसे
अपना हमें समझ के
भीगी भीगी सी ...
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