A Journey of Life...
Valentine
Wednesday, February 3, 2010
इस कदर हमें तुम...
इस कदर हमें तुम,
क्यूँ टुकराये...
कभी हम ना जाने,
क्यूँ हमें तडपाये...
इन दिलों के फासले,
यूँ बड़ना जाये...
और प्यार का ए रिश्ता,
कभी टूटना जाये...
क्या हुई हमसे गिला,
कभी हम समझना पाए...
पलकों में भरी इन आँसूं को,
उनसे छुपना पाए...
इन आँसूं को बेहनेसे,
रोख भी ना पाए...
अपने तनहाई के आग में,
जलनेसे बचना पाए...
घम के ज़ेहर पीकर,
फिर भी हम मुस्कुराए...
ताकी हमारे वजह से उनपर,
कोई इलज़ाम ना आए...
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