Valentine

Wednesday, September 10, 2008

मेरे यार




ऐसा खेल खेलके गया, ज़िंदगी ने मेरे साथ

कभी भूलबीना पॉवूँगी, ज़िंदगी भर तुम्हें ओ मेरे यार

चाहने लगी थी में तुम्हें, ज़िंदगी के इस मोढ पर

दीवानी हो चुकी थी में, तुम्हारें इस प्यार में

खुदाने बनाया है तुम्हें, बहुत सोच समझ कर

भर दिया है तुज्में, ज़माने की सारे अच्छे खूबियाँ

क्शमा का तुम दूसरें नाम हो और दोस्ती का तुम दूसरें रूप हो

तुम एक भगवान की मूरत हो और में तुम्हारी पूजारन हूँ

तुम मेरे हो सिर्फ मेरे और मै तुम्हारी हूँ सिर्फ तुम्हारी

7 comments:

संगीता पुरी said...

बहुत अच्छा।

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

aapki abhivyakti aur bhav bahut achcha hai.

Kavita Vachaknavee said...

स्वागत है.
खूब लिखें,अच्छा लिखें.

شہروز said...

आपकी पोस्ट देखी.
आपकी रचनात्मक प्रतिभा के हम कायल हुए.
जोर-कलम और ज्यादा.
कभी फ़ुर्सत मिले तो हमारे भी दिन-रात आकर देख लें.
http://shahroz-ka-rachna-sansaar.blogspot.com/
http://saajha-sarokar.blogspot.com/
http://hamzabaan.blogspot.com/

श्यामल सुमन said...

भावना और कोशिश अच्छी है। लगातार लिखने से आवश्यक सुधार भी हो जायेंगे।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com

Pravallika said...

My sincere thanks to each one of you.

yeh toh hamaree pehali koshish thee aur aashaa karoon gi ki agar app sab ki dua hamaare saath hai tho hum aur behatar karenge.

thanks for ur comments.

राजेंद्र माहेश्वरी said...

बहुत अच्छा।
लगातार लिखने से आवश्यक सुधार भी हो जायेंगे।

Lamhe

Valentine

Sun Zara - The Woman In My Life!