Valentine

Tuesday, September 9, 2008

मेरे हमसफर




सफर ये ज़िंदगी की है बडी लम्बी

कितने आते है और कितने जाते है ज़िंदगी के हमसफर में

कोई इस स्टेशन में चड़ते हैं कोई उस स्टेशन में

कोई इस स्टेशन में उतरते हैं कोई उस स्टेशन में

लेकिन आते जाते हीं रेहते हैं ज़िंदगी की सफर में

कोई बडी अज़ीज़ लग्ते हैं और कोई बडी अज्नबी

कोई हस्ते रेहते हैं और कोई रोते रेहते हें

लेकिन आते जाते हीं रेहते हैं ज़िंदगी की सफर में

मालूँ नहीं हैं कहॉ जाकर रुकेगी ये सफर

लेकिन वहीं दिन मेरे ज़िंदगी का आखरी दिन होगा मेरे हमसफर

0 comments:

Lamhe

Valentine

Sun Zara - The Woman In My Life!