सफर ये ज़िंदगी की है बडी लम्बी
कितने आते है और कितने जाते है ज़िंदगी के हमसफर में
कोई इस स्टेशन में चड़ते हैं कोई उस स्टेशन में
कोई इस स्टेशन में उतरते हैं कोई उस स्टेशन में
लेकिन आते जाते हीं रेहते हैं ज़िंदगी की सफर में
कोई बडी अज़ीज़ लग्ते हैं और कोई बडी अज्नबी
कोई हस्ते रेहते हैं और कोई रोते रेहते हें
लेकिन आते जाते हीं रेहते हैं ज़िंदगी की सफर में
मालूँ नहीं हैं कहॉ जाकर रुकेगी ये सफर
लेकिन वहीं दिन मेरे ज़िंदगी का आखरी दिन होगा मेरे हमसफर
कितने आते है और कितने जाते है ज़िंदगी के हमसफर में
कोई इस स्टेशन में चड़ते हैं कोई उस स्टेशन में
कोई इस स्टेशन में उतरते हैं कोई उस स्टेशन में
लेकिन आते जाते हीं रेहते हैं ज़िंदगी की सफर में
कोई बडी अज़ीज़ लग्ते हैं और कोई बडी अज्नबी
कोई हस्ते रेहते हैं और कोई रोते रेहते हें
लेकिन आते जाते हीं रेहते हैं ज़िंदगी की सफर में
मालूँ नहीं हैं कहॉ जाकर रुकेगी ये सफर
लेकिन वहीं दिन मेरे ज़िंदगी का आखरी दिन होगा मेरे हमसफर
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